कुबेर यंत्र के लाभ – Benefits of Kuber Yantra in hindi

कुबेर यंत्र के लाभ

कुबेर यंत्र से पाएं मनी मंत्र

जहां लक्ष्मी प्राप्ति की अन्य साधनाएं असफल हो जाती हैं, वहां कुबेर यंत्र की स्थापना शीघ्र लाभ देती है । कुबेर यंत्र के प्रभाव से स्वयं कुबेर घर की संपत्ति की रक्षा करते हैं

जीवन के समस्त सुख भौतिक संपदा से ही पूर्ण होते हैं । जाहिर सी बात है इसके लिए घर में लक्ष्मी का वास होना चाहिए । तभी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी । अगर आप भी चाहते हैं कि आपके घर में सुख समृद्धि आए, तो कुबेर यंत्र की स्थापना आपको लाभ दे सकती है ।

यह यंत्र धन के अभाव को दूर करता है और व्यापार में वृद्धि करता है । इसे अपने घर या ऑफिस में सिद्ध एवं प्राण-प्रतिष्ठित करवा सकते हैं । क्योंकि लक्ष्मी प्राप्ति की साधना में कुबेर यंत्र अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है । इस को घर में रखने से धन का अभाव नहीं रहता और घर में सुख शांति का वास होता है । जिस प्रकार प्राण के देवता वायु, जल के देवता वरुण, वर्षा के देवता इंद्र हैं, उसी प्रकार धन-संपदा के अधिपति कुबेर हैं ।

यदि आप अपने जीवन में सुख-सौभाग्य, व्यापार वृद्धि, संतान सुख, आर्थिक उन्नति और ऐश्वर्य प्राप्त करना चाहते हैं, तो शुभ समय पर श्री कुबेर यंत्र को अपने यहां स्थापित करवाएं । इस यंत्र के प्रभाव से यक्षराज कुबेर प्रसन्न होकर संपत्ति की रक्षा करते हैं । कागज और तांबे के अलावा यह यंत्र स्वर्ण और भोज पत्रों से भी निर्मित होता है ।

कहते हैं कि जहां लक्ष्मी प्राप्ति की अन्य साधनाएं असफल हो जाती हैं, वहां इस यंत्र की उपासना से शीघ्र लाभ होता है । कुबेर यंत्र को विजयदशमी, धनतेरस, दीपावली, रविपुष्य नक्षत्र और गुरुवार या रविवार को बनवाया जाना चाहिए । इसका विशेष लाभ होता है । ध्यान रहे, इस यंत्र की स्थापना गल्ले, तिजोरिओ व बंद अलमारियों में की जाती है ।

कुबेर यंत्र कब स्थापित करें

धनतेरस, गुरु-पूर्णिमा, बुद्ध-पूर्णिमा, महाशिवरात्रि, रवि पुष्य योग अथवा गुरु-पुष्य योग, मकर संक्रांति का समय कुबेर यंत्र की स्थापना के लिए विशेष है । इस यंत्र को स्थापना करने के बाद नित्य 21 या 51 बार निम्नलिखित मंत्र का जप अवश्य करें ।

“कुबेरं त्वं धनाधीशं गृहे ते कमला स्थिता ।
तां देवी प्रेषया त्वंशु ममगृहे ते नमो नमः ।।“

विशेष

पंचोपचार पूजन में कुमकुम अथवा रोली के स्थान पर केशर में कपूर मिलाकर गंगाजल से तैयार लेप भी कुमकुम की जगह प्रयोग कर सकते हैं । यदि केसर, कपूर का प्रयोग ना कर पाएं, तो अष्टगंध चूर्ण अथवा पीसी हल्दी के लेप का भी प्रयोग कर सकते हैं ।

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